नई दिल्ली
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने टोल संचालन को और सुचारू बनाने के लिए ‘लूज Fastag’ यानी ‘टैग-इन-हैंड’ के दुरुपयोग पर सख्ती करने का निर्णय लिया है। एनएचएआई ने टोल संग्रह एजेंसियों और कॉन्सेशनर्स को निर्देश दिए हैं कि वे ऐसे फास्टैग की तुरंत रिपोर्ट करें और उन्हें ब्लैकलिस्ट करें, जो वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपकाए बिना हाथ में रखे जाते हैं।
यह फैसला क्यों लिया गया ?
कई बार वाहन चालक जानबूझकर Fastag को विंडस्क्रीन पर नहीं चिपकाते, जिससे टोल संग्रह में बाधा उत्पन्न होती है। इससे टोल प्लाजा पर लंबी कतारें, गलत चार्जबैक, बंद टोलिंग सिस्टम का दुरुपयोग और इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) सिस्टम में समस्याएं पैदा होती हैं। यह अन्य राजमार्ग उपयोगकर्ताओं के लिए असुविधा और देरी का कारण बनता है।
एनएचएआई ने कहा, “आगामी पहल जैसे एनुअल पास सिस्टम और मल्टी-लेन फ्री फ्लो (एमएलएफएफ) टोलिंग के लिए फास्टैग की प्रामाणिकता और सिस्टम की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।”
ब्लैकलिस्टिंग प्रक्रिया और नया नियम
एनएचएआई ने ‘लूज फास्टैग’ की शिकायतों के लिए एक समर्पित ईमेल आईडी प्रदान की है। टोल संग्रह एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे मामलों की तुरंत रिपोर्ट करें। प्राप्त शिकायतों के आधार पर, एनएचएआई तत्काल ब्लैकलिस्टिंग या हॉटलिस्टिंग की कार्रवाई करेगा।
इसके अलावा, सभी टोल प्लाजा पर इस नए नियम की जानकारी प्रदर्शित की जाएगी ताकि वाहन चालकों को नियमों का पालन करने और दंड से बचने के लिए जागरूक किया जा सके।
फास्टैग की 98% से अधिक पहुंच
फास्टैग ने देश में इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह को क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है, जिसकी पहुंच 98% से अधिक है। हालांकि, ‘लूज फास्टैग’ की समस्या टोल संग्रह की दक्षता को प्रभावित करती है। यह नया कदम टोल संचालन को और कुशल बनाने में मदद करेगा, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को सुगम और आरामदायक यात्रा अनुभव मिलेगा।
एनुअल पास और एमएलएफएफ टोलिंग की तैयारी
हाल ही में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 3,000 रुपये में फास्टैग आधारित एनुअल पास की घोषणा की थी, जो 15 अगस्त 2025 से शुरू होगा। यह पास एक वर्ष के लिए या अधिकतम 200 यात्राओं तक वैध होगा। इसके अलावा, मल्टी-लेन फ्री फ्लो (एमएलएफएफ) टोलिंग सिस्टम को लागू करने की तैयारी भी चल रही है, जो बिना रुके टोल संग्रह को संभव बनाएगा। इन पहलों के लिए ‘लूज फास्टैग’ की समस्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।
यह कदम भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रह को और अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।