जम्मू : देश में सावन के पहले सोमवार को, भगवान शिव के भक्तों की अमरनाथ यात्रा पूरे उत्साह के साथ जारी है। इस पवित्र यात्रा में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर के दक्षिणी हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा की ओर बढ़ रहे हैं। इस वर्ष यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई और 9 अगस्त तक चलेगी, जो रक्षा बंधन के पर्व के साथ समाप्त होगी।
यात्रा का उत्साह और व्यवस्थाएं
श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (SASB) द्वारा आयोजित इस यात्रा में अब तक लगभग 2 लाख 63 हजार श्रद्धालुओं ने पवित्र हिम शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं। रविवार को 17,022 तीर्थयात्रियों ने गुफा में दर्शन किए। यात्रा दो मुख्य मार्गों – 48 किलोमीटर लंबे पारंपरिक नुनवान-पहलगाम मार्ग और 14 किलोमीटर के छोटे लेकिन खड़ी चढ़ाई वाले बालटाल मार्ग से होकर गुजरती है।
जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से रविवार को 7,049 तीर्थयात्रियों का 12वां जत्था कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच रवाना हुआ। इसमें 1,423 महिलाएं, 31 बच्चे और 136 साधु-साध्वी शामिल थे। यात्रियों ने “बम बम भोले” और “हर हर महादेव” के जयकारों के साथ अपनी यात्रा शुरू की, जो कश्मीर के पहलगाम और बालटाल आधार शिविरों की ओर बढ़ी।
सुरक्षा और सुविधाएं
इस वर्ष अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व रूप से मजबूत किया गया है। 50,000 से अधिक सीआरपीएफ, सेना और पुलिस कर्मियों को यात्रा मार्ग पर तैनात किया गया है। ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे, जैमर और चेहरा पहचान प्रणाली जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, हर दो किलोमीटर पर मेडिकल कैंप, आपातकालीन निकासी तंत्र और हवाई एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध है।
स्थानीय प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए गोदामों में आवश्यक सामग्री, अलग-अलग पैदल और घोड़े वालों के लिए रास्ते, और चार नामित स्टैंड बनाए हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यात्रा की शुरुआत 2 जुलाई को भगवती नगर से पहले जत्थे को रवाना करके की थी।
चुनौतियां और श्रद्धालुओं का हौसला
यात्रा के दौरान कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं। शनिवार को रामबन जिले के चंद्रकोट में एक बस के ब्रेक फेल होने से पांच बसों की टक्कर में 36 तीर्थयात्रियों को मामूली चोटें आईं। इसके बावजूद, श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। दिल्ली के एक तीर्थयात्री अमित ने बताया कि काफिले के बिना अकेले यात्रा करना आसान और आरामदायक है, हालांकि काफिले में सख्त दिशानिर्देशों का पालन करना पड़ता है।
पहलगाम मार्ग, जो 48 किलोमीटर लंबा है, चुनौतीपूर्ण है। यह रास्ता धूल भरा, पथरीला और कई जगहों पर संकरा है, जहां रेलिंग की कमी जोखिम बढ़ाती है। फिर भी, श्रद्धालु बिहारी पाल जैसे तीर्थयात्री, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर से हैं, कहते हैं, “हमें कोई डर नहीं है। आतंकी हमले हमें इस यात्रा से नहीं रोक सकते।”
सावन और सांस्कृतिक महत्व
सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष सावन 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगा। अमरनाथ यात्रा, जो सावन मास में होती है, न केवल आध्यात्मिक बल्कि कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। स्थानीय लोग तंबू, गर्म पानी, घोड़े और पालकी जैसी सेवाएं प्रदान करके अपनी आजीविका कमाते हैं, जिससे पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलता है।
अमरनाथ यात्रा श्रद्धा, सेवा और सुरक्षा का अनूठा संगम है। आतंकी खतरों और प्राकृतिक चुनौतियों के बावजूद, लाखों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अडिग विश्वास के साथ इस दुर्गम यात्रा पर निकल रहे हैं। प्रशासन, सेना और स्थानीय समुदाय के संयुक्त प्रयासों से यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक बन रही है।